श्री राधा रानी आरती | Shri Radha Rani Aarti

श्री राधा रानी आरती
1
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजु मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेक विराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की…॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरती सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की…॥
2
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की…॥
कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की…॥