श्री हनुमान आरती | Shri Hanuman Aarti
श्री हनुमान आरती
1
श्री हनुमंत स्तुति
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लँगूर।
बज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर॥
आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर काँपे।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे।
लाये संजीवन प्राण उबारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
2
पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुंठ परम पद पावे॥
॥ आरती कीजै हनुमान…॥
दोहा
लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥