ॐ जय लक्ष्मी माता आरती | Shri Laxmi Mata | Om Jai Lakshmi Mata Aarti
श्री जय लक्ष्मी माता आरती
1
दोहा
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत,
मैया जी को निसदिन सेवत ।
हर विष्णु विधाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
उमा रमा ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माताओ,
मैया तुम ही जग माता।
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
दुर्गा रूप निरंजनी,
सुख संपत्ति दाता,
ओ मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुम को ध्यावत,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
तुम पाताल निवासिनी,
तुम ही शुभ दाता,
ओ मैया तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी,
भव निधि की त्राता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
2
जिस घर में तुम रहतीं,
सब सद्गुण आता,
ओ मैया सब सदगुण आता।
सब सम्भव हो जाता,
मन नहीं घबराता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
तुम बिन यज्ञ न होता,
वस्त्र न कोई पाता,
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव,
सब तुम से आता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
शुभ गुण मंदिर सुन्दर,
क्षीरोदधि जाता,
ओ मैया क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
धुप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो,
मैया माँ स्वीकार करो।
ज्ञान प्रकाश करो माँ,
मोह अज्ञान हरो॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
महालक्ष्मीजी की आरती,
जो कोई जन गाता,
ओ मैया जो कोई जन गाता।
उर आनंद समाता,
पाप उतर जाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता॥