श्री सत्यनारायणजी आरती | Shri Satyanarayan Aarti
श्री सत्यनारायणजी आरती
1
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी,
सत्यनारायण स्वामी
जन पातक हरणा॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
रतन जड़ित सिंहासन
अदभुत छवि राजे,
स्वामी अदभुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन,
नारद करत नीराजन
घंटा वन बाजे ॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
प्रकट भए कलिकारण
द्विज को दरस दियो,
स्वामी द्विज को दरस दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर
कंचन महल कियो॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
दुर्बल भील कुठारी
जिन पर कृपा करी,
स्वामी जिन पर कृपा करी।
चंद्रचूड़ एक राजा,
चंद्रचूड़ एक राजा
तिनकी विपत्ति हरि॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
वैश्य मनोरथ पायो
श्रद्धा तज दीन्ही,
स्वामी श्रद्धा तज दीन्ही।
सो फल भाग्यो प्रभुजी,
सो फल भाग्यो प्रभुजी
फिर अस्तुति किन्ही॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
2
भाव भक्ति के कारण
छिन-छिन रूप धरयो,
स्वामी छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण किनी,
श्रद्धा धारण किनी
तिनके काज सरयो॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
ग्वाल-बाल संग राजा
बन में भक्ति करी,
स्वामी बन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हो,
मनवांछित फल दीन्हो
दीन दयालु हरि॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
चढत प्रसाद सवायो
कदली फल मेवा,
स्वामी कदली फल मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से,
धूप-दीप-तुलसी से
राजी सत्यदेवा॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई जन गावै,
स्वामी जो कोई जन गावै।
तन मन सुख संपती,
तन मन सुख संपती
मनवांछित फल पावे॥
॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा…॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा
स्वामी श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी,
सत्यनारायण स्वामी
जन पातक हरणा॥