श्री शिव आरती | Shri Shiv Aarti
शिव आरती
1
ॐ जय शिव ओंकारा,
प्रभु हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन,
पञ्चानन राजे,
स्वामी पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन,
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज,
दसभुज अति सोहे,
स्वामी दसभुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखता,
तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला
मुण्डमाला धारी,
स्वामी मुण्डमाला धारी।
चन्दन मृगमद चंदा,
चन्दन मृगमद चंदा
भोले शुभ कारी॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर, पीताम्बर,
बाघाम्बर अंगे,
स्वामी बाघाम्बर अंगे।
ब्रह्मादिक संतादिक,
ब्रह्मादिक संतादिक
भूतादिक संगे॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी,
स्वामी चक्र तत्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी,
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
2
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
जानत अविवेका,
स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये,
प्रणवाक्षर के मध्ये
ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा,
स्वामी पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,
पार्वती अर्द्धांगी
शिवलहरी गंगा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती
शंकर कैलासा,
स्वामी शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,
भांग धतूर का भोजन
भस्मी में वासा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है
गल मुण्डन माला,
स्वामी मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,
शेष नाग लिपटावत
ओढ़त मृगछाला ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ
नंदी ब्रह्मचारी,
स्वामी नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,
नित उठ दर्शन पावत
महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरती,
जो कोइ जन गावे
स्वामी जो कोइ जन गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
प्रभु हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥